मनुष्य जीवन
मनुष्य
जीवन पहले इतना जटिल नहीं था जितना आज दिखाई देता है। कारण हम सभी अच्छे
से जानते हैं लेकिन अफसोस कोई उसे स्वीकार नहीं करना चाहता। पहले के दौर
में साधन और वैयक्तिक महत्वकांक्षाएं सभी कुछ सीमित थे, परंतु आज ऐसा नहीं
है।
धार्मिक दृष्टिकोण
इसके
अलावा एक कारण और था जिसके चलते लोग परेशान भी कम होते थे और निराश भी, वो
कारण था धार्मिक दृष्टिकोण और धार्मिक दस्तावेजों पर विश्वास। आज ये भी
लगभग ना के बराबर ही है।
धार्मिक ग्रंथ
इसलिए विवाह हमेशा सोच-समझकर करना चाहिए। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए धार्मिक ग्रंथ बहुत हद तक सहायक हो सकते हैं।
महिला से संबंध
चलिए
आज जानते हैं हिन्दू धार्मिक दस्तावेजों के अनुसार किस तरह की महिला से
संबंध जोड़ना या उसे विवाह कर घर लाना नुकसानदेह साबित हो सकता है।
कर्कश वाणी
हिन्दू
धर्म ग्रंथों के अनुसार ऐसी स्त्री जिसके मुख से हमेशा कटु वचन ही निकलते
हैं, जो हर समय, हर किसी के लिए कड़वा ही बोलती है, उसके साथ कभी विवाह नहीं
करना चाहिए।
वाणी में सरस्वती
कहा
जाता है वाणी में सरस्वती का वास होता, जो स्त्री मधुर वाणी बोलती है उससे
और उसके परिवार से मां सरस्वती हमेशा प्रसन्न करती है। जिस स्त्री की वाणी
ही कर्कश होती है उसका दुष्प्रभाव पूरे परिवार को भुगतना पड़ता है इसलिए
कभी ऐसी स्त्री को घर नही लाना चाहिए।
सुबह देर तक सोने वाली
स्त्री
का कार्य घर परिवार की जिम्मेदारियां संभालना होता है, अगर वे सक्रिय नहीं
होगी तो परिवार बिखर जाएगा। महिलाओं का देर तक सोना, उन्हें जिम्मेदारियों
से दूर कर देता है। इसलिए जो महिला आदतन देर तक सोती है उससे विवाह करना
परिवार के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
माता या पिता के परिवार से संबंध
वैसे
तो हमारे समाज में पारिवारिक जनों के बीच विवाहित रिश्तों को सही नहीं
समझा जाता लेकिन फिर भी बदलते समय में इस मानसिकता में भी कमी आने लगी है।
आजकल लोग परिवार के बीचोबीच रिश्ता करना उचित समझते हैं।
संतान
लेकिन
हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार ऐसा करना सही नहीं है क्योंकि ब्ल्ड ग्रुप
और गोत्र के मिल जाने से विवाह संबंध में उत्पन्न होने वाली संतान को
शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जिस स्त्री का माता पक्ष से
पांचवीं पीढ़ी और पिता पक्ष से सातवीं पीढ़ी तक रिश्ता जुड़ा हुआ हो, उस
स्त्री से कभी विवाह नहीं करना चाहिए।
पुरुषों से संबंध रखने वाली
आजकल
भले ही माहौल खुलापन लिए हुए है, लेकिन प्राचीन समय में के ज्ञानियों ने
स्त्री-पुरुष के लिए कुछ नियम कायदे बनाए थे। जिनके अनुसार स्त्रियों को
अन्य पुरुषों से ज्यादा मेलजोल नहीं बढ़ाना चाहिए। ये उन्हें नैतिक पतन की
ओर ले लाता है। इसलिए कभी ऐसी स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए जो अन्य
पुरुषों के सथ घुलती-मिलती हो या किसी प्रकार का संबंध रखती हो।
नैतिक पतन
ये
उन्हें नैतिक पतन की ओर ले लाता है। इसलिए कभी ऐसी स्त्री से विवाह नहीं
करना चाहिए जो अन्य पुरुषों के सथ घुलती-मिलती हो या किसी प्रकार का संबंध
रखती हो।
लंबा अनुभव
वैसे
तो आजकल की जनरेशन धर्म और सीख जैसी बातों को ज्यादा तूल नहीं देती, लेकिन
हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इन्हें लिखने की पीछे एक लंबा अनुभव और
विभिन्न कारण हैं।